हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया भैया दूज पर्व

 हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया भैया दूज पर्व

 सहरसा - कोशी, मिथलांचल सहित पूरे प्रदेश में भाई दूज का पर्व हर्सोल्लास पूर्वक मनाया गया। भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि उसके घर आकर भोजन करो।अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहता था। संयोगवश कार्तिक शुक्ल का दिन आया यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध करवा लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो लोगों का प्राण लेता हूँ। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। 

बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भैया आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह चल दिये। इसी दिन से इस भैया दूज पर्व की परम्परा शुरू हो गयी। कोशी , मिथलांचल सहित पूरे प्रदेश में हर्सोल्लास पूर्वक भैया दूज मनाया गया

 राजीब झा -  सहरसा

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