243 विधानसभा सीटों में किस जाति के कितने विधायक बने

 243 विधानसभा सीटों में किस जाति के कितने विधायक बने

28 विधायक राजपूत समाज के बने

SAHARSA - बिहार में कुल 28 राजपूत विधायक जीतकर आए हैं जबकि 2015 में 20 विधायक जीते थे। इस तरह से राजपूत विधायकों की संख्या में 8 का इजाफा हुआ है। बीजेपी ने इस बार 21 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से 15 जीते हैं वहीं जेडीयू के 7 राजूपत प्रत्याशियों में से महज 2 ही जीत सके और दो वीआईपी के टिकट पर जीते हैं। इस तरह से एनडीए के 29 टिकट में से 19 राजपूत विधायक बने हैं। जबकि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से महज 8 ही जीत सके हैं। आरजेडी ने इस बार 08 टिकट दिए थे, जिनमें से सात जीते हैं जबकि कांग्रेस के 10 में से एक को जीत मिली है। इसके अलावा एक निर्दलीय राजपूत विधायक ने भी जीत दर्ज किया है। पिछले चुनाव में बीजेपी से 9, आरजेडी से 2, जेडीयू से 6 और कांग्रेस से तीन राजपूत विधायक चुने गए थे। ऐसे में बीजेपी और आरजेडी में इजाफा हुआ है तो कांग्रेस और जेडीयू में कमी आई है।

21 विधायक भूमिहार वर्ग के बने हैं

बिहार चुनाव में इस बार विभिन्न दलों से 21 भूमिहार विधायक चुनकर आए हैं। जबकि वर्ष 2015 में 17 विधायक चुने गए थे। बीजेपी के 14 भूमिहार प्रत्याशियों में से 8 जबकि जेडीयू 8 भूमिहार प्रत्याशियों में से 5 ने जीत दर्ज किया है। जीतन राम मांझी के पार्टी से भी एक भूमिहार कैंडिडेट को जीत मिली है। इस तरह से एनडीए से 14 भूमिहार विधायक बने हैं। दूसरी और महागठबंधन के टिकट पर 6 भूमिहार विधायक चुने गए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के 11 प्रत्याशियों में से 4 जबकि आरजेडी और सीपीआई से 1-1 विधायक ने जीत दर्ज की है।

12 ब्राह्मण विधायक ने जीत किया दर्ज

 12 ब्राह्मण विधायक भी इस बार चुनाव जीते हैं। जबकि 2015 में 11 विधायकों ने जीत हासिल की थी। बीजेपी के 12 ब्राह्मण कैंडिडेटों में से 5 को जीत मिली है और जेडीयू के दोनों ब्राह्मण प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। वहीं कांग्रेस के 9 ब्राह्मणों में से 3 जीते हैं जबकि आरजेडी के 4 में से 2 को जीत मिली है। कायस्थ समुदाय से तीन विधायकों ने जीत दर्ज की है जो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

52 विधायक यादव समुदाय के चुने गए

 इस बार चुनाव में विभिन्न दलों से कुल 52 यादव विधायक चुने गए हैं जबकि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में 61 विधायक जीतकर विधानसभा पहुँचे थे। इस बार आरजेडी के टिकट पर 36, सीपीआई (माले) से दो, कांग्रेस से एक और सीपीएम से एक यादव विधायक चुने गए हैं। इस तरह से महागठबंधन से 40 यादव विधायक जीते हैं वहीं एनडीए से 12 यादव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं, जिनमें बीजेपी से 6, जेडीयू से पांच और वीआईपी से एक यादव विधायक शामिल है।

कुर्मी विधायकों की संख्या 09

इस बार 09 कुर्मी समुदाय के विधायक ही जीत सके हैं जबकि 2015 में 16 कुर्मी विधायक जीतने में सफल रहे थे। इस बार जेडीयू के 12 कुर्मी प्रत्याशियों में से 7 ही जीत हासिल किए हैं जबकि बीजेपी के टिकट पर दो कुर्मी विधायक चुने गए हैं। आरजेडी और कांग्रेस से एक भी कुर्मी नहीं जीत सका।

16 कोइरी (कुशवाहा) विधायक विधानसभा पहुँचने में सफल रहे। 

इस बार 16 कुशवाहा समुदाय के विधायक जीत हासिल कर सके हैं जबकि 2015 के चुनाव में 20 विधायक जीते थे। बीजेपी से 3, जेडीयू से 4, आरजेडी से 4 और सीपीआई (माले) से 4 कुशवाहा समाज के विधायक चुने गए हैं जबकि एक सीपीआई के टिकट पर जीते हैं। वहीं, अगर 2015 के चुनाव के लिहाज से देंखे तो 4 बीजेपी, 4 आरजेडी, 11 जेडीयू, 1 कांग्रेस और 1 आरएलएसपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उपेंद्र कुशवाहा ने 48 टिकट कुशवाहा समुदाय के लोगों को दिए थे, जिनमें से एक भी प्रत्याशी नहीं जीत दर्ज कर सके।

24 विधायक वैश्य-दलित-कोटे से चुने गए 

बिहार चुनाव में इस बार विभिन्न दलों से वैश्य समुदाय के 24 विधायक चुनकर आए हैं। जबकि 2015 में इनकी संख्या विधानसभा में 16 थी। वैश्य समाज से सबसे ज्यादा 15 विधायक बीजेपी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। वहीं  आरजेडी से 5, सीपीआई (माले) से 2, जेडीयू और कांग्रेस से 1-1 विधायक वैश्य समुदाय के जीते हैं। इसके अलावा 38 सुरक्षित सीटों से दलित विधायक जीते हैं जबकि 2 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें उन्हीं के खाते में गई है। एसटी समुदाय के दोनों सीटें बीजेपी ने दर्ज किया है।

19 मुस्लिम ही इस बार विधायक बने

इस बार के चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक जीते हैं जबकि 2015 में 24 मुस्लिम विधायक चुने गए थे। आरजेडी के टिकट पर सबसे ज्यादा 8 मुस्लिम जीते हैं जबकि दूसरे नंबर 5 मुस्लिम विधायक इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से चुने गए हैं। इसके अलावा कांग्रेस के चार, सीपीआई (माले) से एक और एक बसपा के टिकट पर जीत हासिल कीया है।

राजीब झा - सहरसा


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