हिंदू-मुस्लिम एक हैं और इसका आधार है हमारी मातृभूमि - मोहन भागवत

 हिंदू-मुस्लिम एक हैं और इसका आधार है हमारी मातृभूमि - मोहन भागवत

सहरसा - मुस्लिम राष्ट्रीय मंच  हिंदुस्तान फर्स्ट ,हिन्दुस्तानी बेस्ट के तत्वाधान में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के वसुंधरा मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री अफजाल जी के सफल संचालन में मंच के मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य माननीय डॉक्टर श्री इन्द्रेश कुमार जी के संरक्षण में डॉक्टर ख्वाजा इफ्तेखार जी द्वारा लिखित  The Meeting of Minds A Bridging Initiative पुस्तक का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉक्टर मोहन राव भागवत जी  , इन्द्रेश कुमार एवं अन्य के द्वारा लोकार्पण किया गया , ज़ूम ऐप के माध्य्म से कर्यक्रम में भाग ले रहे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक लुक़मान अली ने बताया कि  लोकार्पण के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के ज़ूम ऐप एवं सभागार में उपस्थित  हजारों कार्यकर्ता को सम्बोधित करते  हुए सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा की हिंदू-मुस्लिम एक हैं, और इसका आधार है हमारी मातृभूमि। पूजन विधि के आधार पर हमें अलग नहीं किया जा सकता। सभी भारतीयों का डीएनए एक है। अब समय आ चुका है कि भाषा, प्रांत और अन्य विषमताओं को छोड़कर हम एक हों और भारत को विश्वगुरू बनाएं। भारत विश्वगुरू बनेगा तभी दुनिया सुरक्षित रहेगी। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राजनीति ने जो अलगाव पैदा किया है उसे हटाना होगा। हम कहते हैं कि गौ माता पूजनीय है, भारत हिन्दू राष्ट्र है लेकिन लिंचिंग करने वाले अपराधी हैं। हम उनका समर्थन नहीं करते।मोहन भागवत ने कहा कि अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है लेकिन जो लोग दूसरों को मार रहे हैं वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं। कानून को बिना किसी पक्षपात के उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों. उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता भ्राम भर है क्योंकि वो अलग-अलग नहीं, बल्कि एक हैं. पूजा पाठ करने के तरीके के आधार पर लोगों में भेद नहीं किया जा सकता। संघ प्रमुख ने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं है. हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. यहां हिंदू या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता. सिर्फ और सिर्फ भारतीयों का ही प्रभुत्व हो सकता है। भागवत ने कहा कि, “वोट की राजनीति में हम नहीं पड़ते. राष्ट्र में क्या होना चाहिए, इस बारे में हमारे कुछ विचार हैं। अब एक ताकत बनी है तो वो ठीक हो जाए, इतनी ताकत हम चुनाव में भी लगाते हैं. हम राष्ट्रहित के पक्षधर हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि छह काम ऐसे हैं जो राजनीति नहीं कर सकती। राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती ,राजनीति लोगों को एकजुट करने का हथियार नहीं बन सकती है, लेकिन राजनीति एकता को बिगाड़ने का हथियार ज़रूर बन सकती है, अल्पसंख्यकों के मन में यह बैठाया गया है कि हिंदू उनको खा जाएंगे। किसी अन्य देश में ऐसा होगा जहां बहुसंख्यक किसी अल्पसंख्यक समाज पर हावी हैं, लेकिन हमारे यहां जो भी आया वो आज भी मौजूद है। 

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