सत्ता बदली सरकार बदली लेकिन शंकरथुआ की तस्वीर नही बदली

 - आधे दर्जन विधायक चुनाव जीत गए और वापस लौट के नही आये

- सड़क पेड़ा के कारण बेटी के वियाह नय होय छे बाबु

- ग्रामीण करेगें वोट बहिष्कार


सहरसा जिले के एक ऐसा सुदूर ग्रामीण इलाका जहां आज भी ग्रामीण विकास को टक टकी निगाहें से देख रही है लेकिन विकास , विकास से कोशों दूर है। इस इलाके के सांसद और विधायक ने आज तक इस गाँव में  सब कुछ बेहतर हो इसके लिए सदन में अपनी आवाज बुलंद नही किये। सिमरीबख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत माहिषी प्रखंड के घोंघेपुर पंचायत अंतर्गत शंकरथुआ गाँव में सरकार की बिजली छोड़कर कर कोई सरकारी व्यवस्था आज तक नही पहुँची है। ग्रामीणों ने इसबार मन बना लिया है कि कोई नेता आ जाय उनको इस बार हमलोग वोट नही देगें। ग्रामीणों ने इस बार मन बना लिया है कि इस बार वोट बहिष्कार किया जायेगा। 


सत्तर वर्षीय कमलू यादव ने बताया कि वोट लेने के लिए यहां विधायक चौधरी सलाउद्दीन आये , सांसद महबूब अली कैशर ,विधायक दिनेश चंद्र यादव , विधायक अरुण यादव , विधायक अब्दुल गफ्फूर , विधायक जफर आलम सभी लोग आए और चले गए लेकिन किसी ने यहां पर विकास नही किया सबको सिर्फ वोट चाहिये। ग्रामीण महिला चुनमुन देवी ने बताई की आज बेटी की शादी करने में इतना परेशानी होती है कि कहना मुश्किल। लड़का वाला गाँव में सड़क नही होने के कारण बेटी का रिश्ता मंजूर नही करते है। महिलाओं ने वोट बहिष्कार की बात कर बताया कि जब तक गाँव में सड़क का निर्माण नही होगा तब तक हम लोग किसी को अपना मत नही देगें। ग्रामीण 65 वर्षीय विधवा महिला देवपरी देवी ने बताई की सरकार यहां किया देती है न सड़क है , न पढ़ने की व्यवस्था है , कोई अस्पताल नही है ग्रामीणों के चंदा से सड़क तैयार किये है , किसी घर में स्वक्ष पानी नही है तो सरकार देती किया है और नेतवन सब सिर्फ ठगने आते है तो इस बार किसी को वोट नही देगें। 


कमलू यादव ने बताया कि यहां तो सब एसी के हवा लेते है आज महबूब अली कैशर लोजपा में और बेटा राजद में सब अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए चुनाव लड़ते है। अब सवाल उठता है कि सत्ता पर सत्ता बदल रही है सरकारें बदल रही लेकिन कोई ऐसे जनप्रतिधि नही हुए जो शंकरथुआ की तस्वीर बदल सके। हाँ एक बात जरूर हुई कि यहां पांच वर्ष में एक बार नेताजी लोग झूठा आस्वासन जरूर देने पहुँच गए। यहां से प्रतिनिधित्व करने वाले तत्कालीन विधायक चौधरी सलाउद्दीन का इंतकाल हो गया। पूर्व मंत्री अब्दुल गफ्फूर भी गुजर गए शेष जो बचे है वह अपने जुगाड़ में लगे है विकास किया होगा। हालांकि इस बार गाँव के लोगों ने मतदान बहिष्कार का इरादा बनाया है बाबाजूद देखना यह होगा कि इस बार कोन प्रतिनिधि वहां के लोगों को अपने चुनावी दावँ पेंच में झूठा आस्वासन देकर वहां के लोगों का दिल जीतने में कामयाब जो पाते हैं। पिछले चुनाव में शंकरथुआ के लोगों ने वोट बहिष्कार किया तो वहां पर जा कर माहिषी के बीडीओ ने लोगों को मनाया तब जा कर मतदान हुआ इस बार किया होगा कहना मुश्किल है। लेकिन एक बात तय है कि आज के डिजिटल दुनियां में शंकरथुआ के लोग अस्सी के दशक में जीने को मजबूर है।


राजीब झा / सहरसा


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