नकली दवाइयों का खतरा बढ़ा, बचाव के लिए करें ये जरूरी जांच
नकली दवाइयों का खतरा बढ़ा, बचाव के लिए करें ये जरूरी जांच
कोशी जोन सहरसा। दवाइयाँ हमारे जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ी होती हैं, लेकिन जब यही दवाइयाँ नकली निकलती हैं, तो इलाज की जगह जान का खतरा बढ़ जाता है। भारत में हर साल करोड़ों की नकली दवाइयाँ बाजार में बेची जाती हैं, जो न केवल मरीजों को नुकसान पहुँचाती हैं, बल्कि असली दवा कंपनियों की साख को भी ठेस पहुँचाती हैं।
नकली दवाइयों का फैलता जाल
ड्रग कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में बिकने वाली दवाओं में से लगभग 3-4% दवाएँ नकली होती हैं। इनका निर्माण छोटे-छोटे अवैध कारखानों में किया जाता है, जहाँ न तो गुणवत्ता की जांच होती है और न ही किसी प्रकार का लाइसेंस।
असली और नकली दवाइयों में फर्क कैसे करें?
1. पैकेजिंग पर ध्यान दें
असली दवा की पैकेजिंग में ब्रांड का लोगो स्पष्ट होता है, जबकि नकली में वह धुंधला या थोड़ा अलग हो सकता है। पैक पर टाइपिंग या रंग में गड़बड़ी हो सकती है।
2. दवा पर छपी जानकारी की जांच करें
बैच नंबर, MRP, निर्माण और समाप्ति तिथि स्पष्ट और छपे हुए होने चाहिए। नकली दवाओं में ये जानकारी गड़बड़ या गायब हो सकती है।
3. QR कोड और बारकोड का उपयोग करें
कई ब्रांड अब QR कोड से दवा की प्रमाणिकता जांचने की सुविधा देते हैं। स्कैन करने पर दवा की पूरी जानकारी मिल जाती है।
4. दवा का रंग, गंध और स्वाद
अगर टैबलेट का रंग या आकार सामान्य से अलग लगे, या सिरप का स्वाद अजीब लगे तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
5. कहाँ से खरीदें
हमेशा प्रमाणित मेडिकल स्टोर या भरोसेमंद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ही दवा खरीदें। बिना बिल के दवा न लें।
सरकारी कदम और जागरूकता
सरकार ने नकली दवाइयों पर रोक लगाने के लिए 'i-Check', 'Pharma Sahi Daam' जैसे ऐप लॉन्च किए हैं। इसके अलावा दवा के डिब्बों पर यूनिक कोड सिस्टम भी शुरू किया जा रहा है, जिससे ग्राहक खुद जांच कर सकें कि दवा असली है या नहीं।
शंका होने पर ये करें:
दवा के सैंपल को संभालकर रखें।नजदीकी ड्रग इंस्पेक्टर या स्वास्थ्य विभाग को शिकायत करें
टोल फ्री हेल्पलाइन: 1800-11-1255 (CDSCO)
स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता न करें। सतर्क रहें, जागरूक रहें, और नकली दवाइयों से अपना और अपनों का बचाव करें।
राजीब झा, पत्रकार सहरसा, व्हाट्सएप - 9525004966 www.koshizone.com
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